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जम्मू, जून 8: हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले में हटवाड़ गांव के डॉ. विजय ठाकुर ने हड्डी रोग के सस्ते और आरामदायक इलाज की तकनीक विकसित की है। डॉ. विजय ठाकुर क्रेनफील्ड यूनिवर्सिटी यूनाइटेड किंगडम में साइंटिस्ट के पद पर कार्यरत हैं। उन्होंने इंग्लैंड में सस्टेनेबल बायोबेस्ड मेंबरेंस धातु के प्रत्यारोपण के लिए कोंटिग्स के रूप में ओसियोइंटीग्रेशन की रिसर्च की है।
इसी रिसर्च में उन्होंने मानव हड्डियों में बढ़ रही बीमारियों की बेहद सस्ती, आरामदायक और सुरक्षित इलाज तकनीक तैयार की है। डॉ. विजय ठाकुर और उनके सहयोगी कलबोरटर्स ने अनुसार हड्डी दोषों के मामलों में हड्डी प्रतिस्थापन के लिए धातु प्रत्यारोपण एक सामान्य चिकित्सीय समाधान है।
इसमें मैग्नीशियम व कैल्शियम मिश्र धातु का उपयोग किया जाता है, जिसमें प्राकृतिक गुणों का यांत्रिक गुणों में मिश्रण करने से उपचार को और बेहतर किया जा सकता है।
रिचर्स का चूहों पर सफलता से परीक्षण
उन्होंने बताया कि मिश्र धातु पानी के संपर्क में आने पर हाईड्रोजन रिलीज करते हैं, जो मानव शरीर के लिए खतरनाक है। डॉ. विजय ठाकुर और उनके सहयोगी की रिसर्च ने हाईड्रोजन रिलीज होने की प्रक्रिया को रोकने में सफलता हासिल की है। इसमें शोधकर्ताओं ने सस्टेनेबल बायोबेस्ड मेंब्रेंस का नया प्रयोग किया है।
जिसके तहत बायोबेस्ड मेंब्रेंस 6 से 12 महीने के बाद खत्म हो जाते हैं और केवल एकीकृत धातु प्रत्यारोपण के साथ हड्डी ही रह जाती है। इस उपचार विधि से शल्य चिकित्सा प्रक्रियाओं की आवश्यकता कम कर उपचार खर्च में कमी की जा सकती है।
रिचर्स का चूहों पर सफलता से परीक्षण किया जा चुका है। जल्द ही इसका मानव शरीर पर भी उपयोग किया जाएगा। इस रिचर्स की विशेषता को देखते हुए अमेरिका, यूरोप और ब्रिटेन में व्यापक प्रचार शुरू हो गया है।
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